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Showing posts from September, 2023

CBSE CLASS 10 BOARD 2024 ALL IMPORTANT QUESTIONS

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CBSE  CLASS 10   BOARD  2024 ALL IMPORTANT  QUESTIONS  COVERS ALL TOPICS .PRACTICE AND GET FUL MARKS   CBSE Class 10 English Grammar Important MCQs - Gap Filling Choose the correct options to fill in the blanks to complete the note about the wangala Festival of Meghalaya.  1. The Wangala (i) __________ festival for the Garo in Meghalaya, Assam and Nagaland. It is a postharvest festival (ii) __________ the end of the agricultural year. It is popularly known as ‘The Hundred Drums’ festival. During the signature dance, the leading warrior (iii) __________ with synchronised 7 dance steps and specific hand-head movements.  (i) (a) is important  ( b) are an important  (c) was the important  (d) is an important  (ii) (a) being celebrated for marking ( b) celebrated to mark ( c) celebrate to mark  (d) being celebrated for mark  (iii) (a) leads the youngsters ( b) lead the youngsters ( c) was leading the youngsters  (d) had led the youngsters  Answer: (i)  (d) is an important (ii) (b) celebrate

रसखान सवैये explaination in hindi class 9 chapter 11

                      रसखान - सवैये class 9    chapter 11  hindi  सवैये मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन। जौ पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥ पाहन हौं तो वही गिरि को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन। जौ खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन। यहाँ पर रसखान ने ब्रज के प्रति अपनी श्रद्धा का वर्णन किया है। चाहे मनुष्य का शरीर हो या पशु का; हर हाल में ब्रज में ही निवास करने की उनकी इच्छा है। यदि मनुष्य हों तो गोकुल के ग्वालों के रूप में बसना चाहिए। यदि पशु हों तो नंद की गायों के साथ चरना चाहिए। यदि पत्थर हों तो उस गोवर्धन पहाड़ पर होना चाहिए जिसे कृष्ण ने अपनी उंगली पर उठा लिया था। यदि पक्षी हों तो उन्हं यमुना नदी के किनार कदम्ब की डाल पर बसेरा करना पसंद हैं। या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं। आठहुँ सिद्धि नवौ निधि के सुख नंद की गाइ चराइ बिसारौं॥ रसखान कबौं इन आँखिन सौं, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं। कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं॥ ग्वालों की लाठी और कम्बल के लिए तीनों लोकों का राज भी त्यागना पड़े तो कवि उसके लिए त

कबीर दास की साखियाँ एवं सबद (पद) | Kabir Das ki Sakhi in Hindi Class 9 | Full Explanation

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  कबीर दास की साखियाँ एवं सबद (पद) | Kabir Das ki Sakhi in Hindi Class 9 | Full Explanation by krishan kumar                                                           कबीर दास की साखियाँ एवं सबद (पद)  | Kabir Das ki Sakhi in Hindi Class 9           आज हम आप लोगों को  क्षितिज भाग 1 कक्षा-9 पाठ-9  ( NCERT Solution for class-9 kshitij bhag-1 chapter – 9) कबीर दास की साखियाँ एवं सबद (पद) काव्य खंड ( Kabir Das ki Sakhi and Sabad)    के  भावार्थ  के बारे में बताने जा रहे है इस पाठ में कबीर द्वारा रचित सात सखियों का संकलन है। इनमें प्रेम का महत्त्व, संत के लक्षण, ज्ञान की महिमा, बाह्याडंबरों का विरोध, सहज भक्ति का महत्त्व, अच्छे कर्मों की महत्ता आदि भावों का उल्लेख हुआ है। इसके अलावा पाठ में कवि के दो सबद (पदों) का संकलन है, जिसमें पहले सबद में बाह्याडंबरों का विरोध तथा अपने भीतर ही ईश्वर की व्याप्ति का संकेत है। दूसरे सबद में ज्ञान की आँधी रूपक के सहारे ज्ञान के महत्व का वर्णन है। कवि का मानना है कि ज्ञान की सहायता से मनुष्य अपनी सभी दुर्बलताओं पर विजय पा सकता है।  मानसरोवर सुभर जल , हंसा के

ललद्यद के वाख कविता की व्याख्या | Vaakh Poem Complete Explanation | Class-9

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ललद्यद के वाख कविता की व्याख्या | Vaakh Poem Complete Explanation | Class-9   आज हम आप लोगों को  क्षितिज भाग 1  कक्षा-9 पाठ-10  ( NCERT Solution for class 9 kshitij bhag-1 Chapter-10) वाख (Vaakh)  कविता के  व्याख्या  के बारे में बताने जा रहे है जो कि  ललद्यद (Laldyad)   द्वारा लिखित है। 1 रस्सी कच्चे धागे की , खींच रही मैं नाव । जाने कब सुन मेरी पुकार , करें देव भवसागर पार। पानी टपके कच्चे सकोरे , व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे। जी में उठती रह -रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।। शब्दार्थ – नाव -शरीर रूपी नाव ।  देव -प्रभु, ईश्वर।  भवसागर -संसार रूपी सागर ।  कच्चे सकोरे -मिट्टी का बना छोटा पात्र जिसे पकाया नहीं गया है।  हूक -तड़प, वेदना।  चाह -चाहत, इच्छा।  भावार्थ  : कवयित्री कहती है कि वह अपने साँसों की कच्ची रस्सी की सहायता से इस शरीर-रूपी नाव को खींच रही है। पता नहीं ईश्वर मेरी पुकार सुनकर मुझे भवसागर से कब पार करेंगे। जिस प्रकार कच्ची मिट्टी से बने पात्र से पानी टपक-टपककर कम होता रहता है, उसी तरह समय बीतता जा रहा है और प्रभु को पाने के मेरे प्रयास व्यर्थ सिद्ध हो रहे हैं। कवयित्री के मन