CBSE CLASS 10 BOARD 2024 ALL IMPORTANT QUESTIONS

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CBSE  CLASS 10   BOARD  2024 ALL IMPORTANT  QUESTIONS  COVERS ALL TOPICS .PRACTICE AND GET FUL MARKS   CBSE Class 10 English Grammar Important MCQs - Gap Filling Choose the correct options to fill in the blanks to complete the note about the wangala Festival of Meghalaya.  1. The Wangala (i) __________ festival for the Garo in Meghalaya, Assam and Nagaland. It is a postharvest festival (ii) __________ the end of the agricultural year. It is popularly known as ‘The Hundred Drums’ festival. During the signature dance, the leading warrior (iii) __________ with synchronised 7 dance steps and specific hand-head movements.  (i) (a) is important  ( b) are an important  (c) was the important  (d) is an important  (ii) (a) being celebrated for marking ( b) celebrated to mark ( c) celebrate to mark  (d) being celebrated for mark  (iii) (a) leads the youngsters ( b) lead the youngsters ( c) was leading the youngsters  ...

ASSIGNMENT SOLUTION SST CLASS 7 ANNUAL EXAM IN HINDI

    ASSIGNMENT SOLUTION SST CLASS 7                            ANNUAL  EXAM


ANSWERS OF ASSIGNMENT

1.  जंगल, प्रकृति द्वारा इंसानों को दिया गया सबसे बेहतर तोहफा है। यह कई जीवित प्राणियों के लिए रहने की जगह देता है। इसके अलावा, हम वनों से तमाम तरह के फायदे लेते रहते हैं। वनों में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, जड़ी-बूटियाँ, झाड़ियाँ आदि होते हैं। उनमें से कई औषधीय मूल्य प्रदान करते हैं। हमें वनों से विभिन्न प्रकार के लकड़ी के उत्पाद भी प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, वे वायु में प्रदूषकों को हटाने में भी सहायक होते हैं, इस प्रकार वायु प्रदूषण को कम करने में वन अहम भूमिका निभाते हैं।

  • आश्रय और छाया प्रदान करते हैं।
  • हवा, भोजन, फल, लकड़ी, पानी, और दवा प्रदान करते है।
  • एक प्राकृतिक वायुमंडलीय शोधक के रूप में कार्य करते हैं।
  • जलवायु, मृदा अपरदन को रोकने और ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
  • जैव विविधता के प्रबंधन द्वारा स्थिरता में मदद करते है।
  • लोगों को रोजगार लाभ प्रदान करते हैं।
  • वन पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण पहलू है और ग्रीनहाउस गैसों का एक भंडार भी है।
  • वन के सौंदर्य मूल्य भी हैं।

वन कई जीवों के रहने की जगह है। वे हमारे लिए प्रकृति का एक अनूठा आशीर्वाद हैं। वे हमें कई आवश्यक सेवाएं प्रदान करते हैं जिनमें वायु, लकड़ी, आश्रय, छाया और तमाम वस्तुएं शामिल हैं। वे जल चक्र के तंत्र को विनियमित करके, जलवायु परिवर्तन में एक सक्रिय भूमिका निभाते हैं। चूंकि वन कई जीवित जीवों को एक घर या आश्रय प्रदान करते हैं, इसलिए जब वन को काट दिया जाता है या उस स्थान को साफ़ कर के कृषि भूमि के लिए मंजूरी दे दी जाती है, तो ये जीव अपने निवास स्थान के नुकसान से काफी पीड़ित होते हैं, जिसकी वजह से आगे चलकर इस प्रक्रिया में जैव विविधता की हानि होती है।

वनों में विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं का समावेश होता है जिसमें पक्षी, कीट और स्तनधारी सभी शामिल हैं। वे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे परागण और फैलाव तंत्र के लिए जिम्मेदार होते हैं। इस प्रकार से वन इन सभी वनवासियों के समूह का घर है।

वन वह संसाधन है जो मानव के लिए काफी अधिक महत्व रखते है। यह हमें हमारी बुनियादी आवश्यकताओं वाली हर इकाई प्रदान करता है; इसलिए यह हमसे कुछ भी हासिल करने के बजाय हमें लगातार देता ही आ रहा है। हम अपनी प्रकृति के लिए हमेशा कर्ज में डूबे हैं और हमेशा रहेंगे भी। हमें अपने वन संसाधनों के संरक्षण में एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए। आज वे उपलब्ध हैं, लेकिन भविष्य में, अगर वे समाप्त हो जाते हैं, तो केवल एकमात्र पीड़ित हम ही होंगे।

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 पर्यावरण में दूषक पदार्थों के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में पैदा होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषण पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुँचाते हैं। प्रदूषण का अर्थ है -'वायु, जल, मिट्टी आदि का अवांछित द्रव्यों से दूषित होना', जिसका सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा पारिस्थितिक तन्त्र को नुकसान द्वारा अन्य अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ते हैं। वर्तमान समय में पर्यावरणीय अवनयन का यह एक प्रमुख कारण है।

प्रकृति द्वारा निर्मित वस्तुओं के अवशेष को जब मानव निर्मित वस्तुओं के अवशेष के साथ मिला दिया जाता है तब दूषक पदार्थों का निर्माण होता है। दूषक पदार्थों का पुनर्चक्रण नही किया जा सकता है।

किसी भी कार्य को पूर्ण करने के पश्चात् अवशेषों को पृथक रखने से इनका पुनःचक्रण वस्तु का वस्तु एवम् उर्जा में किया जाता है।


पृथ्वी के नजदीक लगभग [[५०|50॰॰ किमी ऊँचाई पर स्ट्रेटोस्फीयर है जिसमें ओजोन स्तर होता है। यह स्तर सूर्यप्रकाश की पराबैगनी (UV) किरणों को शोषित कर उसे पृथ्वी तक पहुँचने से रोकता है। आज ओजोन स्तर का तेजी से विघटन हो रहा है, वातावरण में स्थित क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) गैस के कारण ओजोन स्तर का विघटन हो रहा है।
यह सर्वप्रथम 1980 के वर्ष में नोट किया गया की ओजोन स्तर का विघटन सम्पूर्ण पृथ्वी के चारों ओर हो रहा है। दक्षिण ध्रुव विस्तारों में ओजोन स्तर का विघटन 40%-50% हुआ है। इस विशाल घटना को ओजोन छिद्र (ओजोन होल) कहतें है। मानव आवास वाले विस्तारों में भी ओजोन छिद्रों के फैलने की संभावना हो सकता‌ है

ओजोन स्तर के घटने के कारण ध्रुवीय प्रदेशों पर जमा बर्फ पिघलने लगी है तथा मानव को अनेक प्रकार के चर्म रोगों का सामना करना पड़ रहा है। ये रेफ्रिजरेटर और एयरकण्डीशनर में से उपयोग में होने वाले फ़्रियोन और क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) गैस के कारण उत्पन्न हो रही समस्या है। आज हमारा वातावरण दूषित हो गया है। वाहनों तथा फैक्ट्रियों से निकलने वाले गैसों के कारण हवा (वायु) प्रदूषित होती है। मानव कृतियों से निकलने वाले कचरे को नदियों में छोड़ा जाता है, जिससे जल प्रदूषण होता है। लोंगों द्वारा बनाये गये अवशेष को पृथक न करने के कारण बने कचरे को फेंके जाने से भूमि (जमीन) प्रदूषण होता है। प्रदुषण कई प्रकार के होते है - (१)जल प्रदुषण , (२)वायु प्रदुषण , (३)ध्वनि प्रदुषण आदि।

मुख्य प्रकार


वायु प्रदूषण,जल प्रदूषण,भूमि प्रदूषण,ध्वनि प्रदूषण,प्रकाश प्रदूषण


वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण अर्थात हवा में ऐसे अवांछित गैसों, धूल के कणों आदि की उपस्थिति, जो लोगों तथा प्रकृति दोनों के लिए खतरे का कारण बन जाए। दूसरे शब्दों में कहें तो प्रदूषण अर्थात दूषित होना या गंदा (गन्दा) होना। वायु का अवांछित रूप से गंदा होना अर्थात वायु प्रदूषण है। वायु में ऐसे बाह्य तत्वों की उपस्थिति जो मनुष्य एवं जीव-जंतुओं के स्वास्थ्य अथवा कल्याण हेतु हानिकारक हो, वायु प्रदूषक कहलाती है तथा ऐसी स्थिति को वायु प्रदूषण कहते हैं।

वायु प्रदूषण के कारण

वायु प्रदूषण के कुछ सामान्य कारण हैं:

  • वाहनों से निकलने वाला धुआँ।
  • औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुँआ।
  • आणविक संयत्रों से निकलने वाली गैसें तथा धूल-कण।

जल प्रदूषण

जल प्रदूषण का अर्थ है पानी में अवांछित तथा घातक तत्वों की उपस्तिथि से पानी का दूषित हो जाना, जिससे कि वह पीने योग्य नहीं रहता।

जल प्रदूषण के कारण

जल प्रदूषण के विभिन्न कारण निम्नलिखित हैः-

  1. मानव मल का नदियों, नहरों आदि में विसर्जन।
  2. सीवर के सफाई का उचित प्रबंध्न न होना।
  3. विभिन्न औद्योगिक इकाइयों द्वारा अपने कचरे तथा गंदे पानी का नदियों, नहरों में विसर्जन।

भूमि प्रदूषण

भूमि प्रदूषण से अभिप्राय जमीन पर जहरीले, अवांछित और अनुपयोगी पदार्थों के भूमि में विसर्जित करने से है, क्योंकि इससे भूमि का निम्नीकरण होता है तथा मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित होती है। लोगों की भूमि के प्रति बढ़ती लापरवाही के कारण भूमि प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है।

भूमि प्रदूषण के कारण

भूमि प्रदूषण के मुख्य कारण हैं :

  1. कृषि में उर्वरकों, रसायनों तथा कीटनाशकों का अधिक प्रयोग।
  2. औद्योगिक इकाईयों, खानों तथा खादानों द्वारा निकले ठोस कचरे का विसर्जन।
  3. भवनों, सड़कों आदि के निर्माण में ठोस कचरे का विसर्जन।

ध्वनि प्रदूषण

अनियंत्रित, अत्यधिक तीव्र एवं असहनीय ध्वनि को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। ध्वनि प्रदूषण की तीव्रता को ‘डेसिबल इकाई’ में मापा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण का कारण

  1. शहरों एवं गाँवों में किसी भी त्योहार व उत्सव में, राजनैतिक दलों के चुनाव प्रचार व रैली में लाउडस्पीकरों का अनियंत्रित इस्तेमाल/प्रयोग।
  2. अनियंत्रित वाहनों के विस्तार के कारण उनके इंजन एवं हार्न के कारण।

प्रकाश प्रदूषण

बढ़ती बिजली की जरुरत और काम के लिए बढ़ती प्रकाश की जरुरत इस प्रकाश प्रदुषण का कारण बन सकता है |

प्रकाश प्रदुषण का कारणबढ़ती गाड़ियों के कारण हाई वोल्ट के बल्ब का इस्तेमाल |





1. वृक्षारोपण कार्यक्रम- वृक्षारोपण कार्यक्रम युद्धस्तर पर चलाना चाहिए। परती भूमि, पहाड़ी क्षेत्र, ढलान क्षेत्र सभी जगह पौधा रोपण जरूरी करना है। तभी लगातार जंगल कट रहे हैं, जिससे पर्यावरण संतुलन बिगड़ा है, वह संतुलन बनेगा। 
2. प्रयोग की वस्तु दोबारा इस्तेमाल करें- डिस्पोजल, ग्लास, नैपकिन, रेजर आदि का उपयोग दुबारा किया जाना चाहिए, क्योंकि इसका दुष्परिणाम पर्यावरण पर पड़ता है। जहां तक संभव हो हम ऐसी वस्तु का प्रयोग न करें, जिसका बुरा प्रभाव जैविक हो। जिसके परिणामस्वरूप अनेक जीव-जंतु नष्ट हो जाएं एवं अनेक रोगाणु पनप जाएं।

3. भूजल संबंधी उपयोगिता का मापदंड- नगर विकास औद्योगिक शहरी विकास के चलते पिछले कुछ समय से नगर में भूजल स्रोतों का तेजी से दोहन हुआ। एक ओर जहां उपलब्ध भूजल स्तर में गिरावट आई है, वहीं उसमें गुणवत्ता की दृष्टि से भी अनेक हानिकारक अवयवों की मात्रा बढ़ी है।


शहर के अधिकतर क्षेत्रों के भूजल में विभिन्न अवयवों की मात्रा, मानक मात्रा से अधिक देखी गई है। 35.5 प्रतिशत नमूनों में कुल घुलनशील पदार्थों की मात्रा से अधिक देखी गई, इसकी मात्रा 900 मि.ग्रा. प्रतिलीटर अधिक देखी गई। इसमें 23.5 प्रतिशत क्लोराइड की मात्रा 250 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक थी। 50 प्रतिशत नमूनों में नाइट्रेट, 96.6 प्रतिशत नमूनों में अत्यधिक कठोरता विद्यमान थी।

4. पॉलीथिन का बहिष्कार करें- पर्यावरण संरक्षण के लिए पॉलीथिन का बहिष्कार आवश्यक है। दुकानदारों से पॉलीथिन पैकिंग मे सामान न लें। आस-पास के लोगों को पॉलीथिन से उत्पन्न खतरों से अवगत कराएं।

5. कूड़ा-कचरा जलाएं- कूड़ा कचरा एक जगह पर फेंके। ग्रामीण-जन के समान सब्जी, छिलके, अवशेष, सड़-गली चीजों को एक जगह एकत्र करके वानस्पतिक खाद तैयार करते थे। उसी तरह पेड़ की पत्तियों को जलाकर उर्वरक तैयार किया जा सकता है।

6. गंदगी न फैलाएं- रास्ते में कूड़ा-कचरा न फैलाएं। घर की स्वच्छता की तरह बाहर रास्ते की सफाई को भी अभिन्न अंग मानते हुए सफाई करें। प्रति सप्ताह सफाई अभियान को ध्यान में रखते हुए माहौल को साफ रखें।

7. कागज की कम खपत- रद्दी कागज को रफ कार्य करने, लिफाफे बनाने, पुनः कागज तैयार करने के काम में प्रयोग करें। अखबारों को रंगकर गिफ्ट पैक बना लें।

‘जैसे-जैसे विकास की रफ्तार बढ़ रही है, जीवनयापन भी कठिन होता जा रहा है, लेकिन फिर भी शरीर से नित नयी व्याधियां जन्म ले रही हैं। आश्चर्य तो यह है कि पुराने समय में जब सुबह से शाम तक लोग प्रत्येक काम अपने हाथों से करते थे, तब वातावरण कुछ और था, पर्यावरण संरक्षित था। इसी को हमें ध्यान में रखना होगा।’

प्रदूषण की मात्रा इतनी अधिक बढ़ती जा रही है कि इंसान चंद सांसें भी सुकून से लेने को तरसने लगा है।










3. ANS

LAXMI BAI

1.रानी लक्ष्मीबाई

रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित झांसी राज्य की रानी और 1857 की राज्यक्रांति की द्वितीय शहीद वीरांगना थीं. उन्होंने सिर्फ 29 साल की उम्र में अंग्रेज साम्राज्य की सेना से युद्ध किया और रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुई. उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था. रानी लक्ष्मीबाई ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होनें हर हाल में झांसी राज्य की रक्षा करने का निश्चय किया. रानी लक्ष्मीबाई अपनी सुंदरता, चालाकी और दृढ़ता के लिए उल्लेखनीय तो थी हीं साथ ही विद्रोही नेताओं में सबसे अधिक खतरनाक भी थीं.


2.मदर टेरेसा

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1980  के  दरम्यान  हमारे  देश  में  मदर  टेरेसा  का  नाम  बहुत  चर्चित  था।   मदर  टेरेसा  ने  समाज  सेवा  की,  ऐसी  सेवा  हर  कोई  नहीं  कर  सकता।  मदर  टेरेसा  का  कोलकाता  में  एक  आश्रम  था  और  उस  आश्रम  में  वे  बेसहारा  लोगों  को  ले  आती  थीं  और  उनकी  चिकित्सा  करती  थीं।
3.







वह महिला, जिनकी सहायता से भारत में स्त्रियों के लिए पहले विद्यालय की स्थापना हुई सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों और समाज के बहिष्कृत हिस्सों के लोगों को शिक्षा प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभाई. वह भारत की पहली महिला अध्यापिका बनीं (1848) और उन्होंने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए एक विद्यालय खोला.




4.

रज़िया सुल्तान भारत की प्रथम महिला शासक थी जिसका जन्म 1205 मे हुआ था। उसने देश पर 1236 से 1240 तक शासन किया। वह एक साहसी सुल्तान थी और दिल्ली के सिंहासन पर नियंत्रण और हस्तक्षेप करने वाली पहली मुस्लिम महिला थी, उसने दिल्ली का शासन अपने पिता से उत्तराधिकार मे प्राप्त किया था और 1236 मे दिल्ली की सल्तनत बनी




RAJIA SULTANA


5.




उन्होंने कईं राष्ट्रीय आन्दोलनों में नेतृत्व करते हुए भाग लिया और उसके कारण जेल भी गईं। सरोजिनी नायडू गाँव गाँव जाकर देश-प्रेम का अलख जगाती थीं तथा लोगों को अपने कर्तव्य निभाने को जगाती थीं। उनकी बातें जनता पर इतनी असरदार थीं कि वे देश के लिए अपना सब, यहाँ तक जान भी देने के लिए तैयार हो जातें थे।

29 राज्य के नाम और राजधानी


क्रमांकराज्य के नामराजधानी के नाम
1आंध्र प्रदेशहैदराबाद
2अरुणाचल प्रदेशईटानगर
3असमदिसपुर
4बिहारपटना
5छत्तीसगढ़रायपुर
6गोवापणजी
7गुजरातगांधीनगर
8हरियाणाचंडीगढ़
9हिमाचल प्रदेशशिमला
10झारखंडरांची
11कर्नाटकबेंगलुरू
12केरलतिरुवनंतपुरम
13मध्य प्रदेशभोपाल
14महाराष्ट्रमुंबई
15मणिपुरइंफाल
16मेघालयशिलांग
17मिजोरमआइजोल
18नगालैंडकोहिमा
19ओडिशाभुवनेश्वर
20पंजाबचंडीगढ़
21राजस्थानजयपुर
22सिक्किमगंगटोक
23तमिलनाडुचेन्नई
24तेलंगानाहैदराबाद
25त्रिपुराअगरतला
26उत्तर प्रदेशलखनऊ
27उत्तराखंडदेहरादून
28पश्चिम बंगालकोलकाता

 
क्रमांककेंद्र शासित प्रदेश के नामराजधानी के नाम
1.अंडमान व नोकोबार द्वीप समूहपोर्ट ब्लेयर
2.दिल्लीनई दिल्ली
3.लक्षद्वीपकवरत्ती
4.दादरा और नगर हवेली,दमन
5.चंडीगढ़चंडीगढ़
6.पुदुचेरीपांडिचेरी
7.जम्मू और कश्मीर(गर्मी)श्रीनगर-(सर्दी)जम्मू
8.लद्दाखलेह

https://youtu.be/rK4Bqno1dFY


लद्दाख के वनस्पति और जीव क्षेत्र की विविधता की पहाड़ी प्रकृति के अनुरूप हैं। यहां कई प्रजातियां पाई जाती हैं जो इस क्षेत्र की ऊंचाई और इसके इलाके की ऊबड़-खाबड़ प्रकृति को देखते हुए काफी उल्लेखनीय हैं। लद्दाख की वनस्पति और जीव तिब्बत के साथ निकटता से मिलते-जुलते हैं।

लद्दाख में पक्षी प्रजातियाँ
यहाँ विभिन्न प्रकार की पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं जो ज्यादातर प्रवासी हैं। भूरे सिर वाली गल इस क्षेत्र में एक प्रकार का आश्चर्य है। अन्य प्रवासी पक्षी जो लद्दाख में प्रजनन करते हैं, वे ब्राह्मणी बत्तख (रडी शेलड्रेक), बारहेडेड गूज और ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब हैं। दुनिया के सबसे दुर्लभ पक्षियों में से एक, ब्लैक नेकड क्रेन भी यहाँ देखा जाता है। अन्य पक्षी प्रजातियों में तिब्बती रेवेन, रेड-बिल्ड चॉफ, बैक्ट्रियन या ब्लैक-नेकेड क्रेन, स्नो-कॉक, चुकोर या माउंटेन पार्ट्रिज, सैंड ग्राउज़, सैंड प्लोवर, डेजर्ट व्हीटियर, हॉर्नेड लार्क और ट्वाइट हैं। लुप्तप्राय सूची में ब्लैक-नेक क्रेन, बार-हेडेड गूज, गोल्डन ईगल, तिब्बती सैंडग्राउस, तिब्बती पार्ट्रिज, तिब्बती स्नो-कॉक और चुकोर शामिल हैं।

लद्दाख में जीव
शापू, तिब्बती मृग, नीली भेड़, चिंकारा यहां पाए जातर हैं। भारल अब इस क्षेत्र में काफी दुर्लभ है। शापू निचले इलाकों में पाया जाता है। तिब्बती मृग या चिरू, जिसे स्थानीय रूप से स्टोस के नाम से जाना जाता है, भी यहाँ पाया जाता है। यह स्टोस उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले ऊन का उत्पादन करता है जिसका उपयोग शॉल के उत्पादन के लिए किया जाता है। जंगली याक और क्यांग (जंगली गधा) भी यहाँ पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में पाई जाने वाली बिल्लियों में हिम तेंदुआ और बिल्ली की दो अलग-अलग श्रेणियां शामिल हैं जिन्हें लिनेक्स और पलास की बिल्ली के रूप में जाना जाता है। भूरा भालू लद्दाख में द्रास के पास और ऊपरी सुरू घाटी में भी पाया जाता है। लद्दाख में पाए जाने वाले छोटे जानवरों में मर्मोट्स, वोल ​​और हार्स और पिका की कई किस्में हैं।

लद्दाख में वनस्पति
लद्दाख चट्टानी और असमान इलाके के साथ एक अत्यंत ठंडा और शुष्क रेगिस्तान है। कठोर जलवायु और निम्न तापमान यहाँ पाई जाने वाली वनस्पतियों की संख्या और प्रकार को सीमित करते हैं। इस क्षेत्र में कुछ संकरी घाटियाँ हैं जो काफी उपजाऊ हैं। यहां कुछ पौधे और कृषि फसलें उगाई जाती हैं।


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